Vaman or JalJhulni Ekadashi व्रत जानिए व्रत कथा विधि और महत्व

Vaman or JalJhulni Ekadashi Vrat: जानिए व्रत कथा विधि और महत्व 

जल झूलनी एकादशी (JalJhulni Ekadashi) हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को अपार सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

जल झूलनी एकादशी (JalJhulni Ekadashi) का उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन, भक्त भगवान विष्णु की पालकी के साथ शोभा यात्रा निकालते हैं। इसके अलावा, भगवान विष्णु की मूर्ति को मंदिर के बाहर झील, तालाब, बावरी और नदी जैसे पवित्र जल निकायों में स्नान कराया जाता है।

इस एकादशी को और भी कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे, वामन एकादशी (Vaman Ekadashi), पद्मा एकादशी (Padma Ekadashi), जयंती एकादशी (Jayanti Ekadashi) और डोल ग्यारस (Dol Gyaras)

जलझूलनी एकादशी 2023 कब है और व्रत का शुभ मुहूर्त? 

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी या पद्मा एकादशी मनाई जाती है हिंदू धर्म में एकादशी का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। एकादशी तिथि को व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जलझूलनी एकादशी 2023 कब है और व्रत का शुभ मुहूर्त

2023 में जलझूलनी एकादशी JalJhulni Ekadashi Vrat 2023 Date

इस साल 25 सितम्बर 2023, सोमवार के दिन जलझूलनी एकादशी का व्रत (JalJhulni Ekadashi Vrat) रखा जाएगा। इस दिन, सूर्योदय से पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए और सूर्योदय के बाद स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

जलझूलनी एकादशी शुभ मुहूर्त | JalJhulni Ekadashi Vrat Shubh Muhurat

एकादशी तिथि प्रारंभ: 25 सितंबर 2023, सुबह 07:50 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 26 सितंबर 2023, सुबह 05:00 बजे
पूजा मुहूर्त: सुबह 09:15 बजे से 10:45 बजे तक
पारण मुहूर्त: 26 सितंबर 2023, दोपहर 01:25 बजे के बाद

जलझूलनी एकादशी व्रत का महत्व | Significance of JalJhulni Ekadashi Vrat

जलझूलनी एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी शेषशैया पर करवट बदलते हैं। इसी कारण इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है।

जलझूलनी एकादशी का व्रत (JalJhulni Ekadashi Vrat) करने से व्यक्ति के जीवन के सभी संकट और कष्टों का नाश होता है, समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है, धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती और जीवन के सभी सुखों का आनंद लेकर अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है।

इस दिन माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है और साधक को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। साथ ही साधक को उनकी कृपा से अत्युल्य वैभव की प्राप्ति होती है।

जलझूलनी एकादशी के दिन श्री कृष्ण की विशेष पूजा किये जाने का भी विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से ही जन्माष्टमी का व्रत (Janmashtami Vrat) पूर्ण होता है।

जलझूलनी एकादशी की कथा | JalJhulni Ekadashi Vrat Katha

पौराणिक कथानुसार इस दिन देवताओं ने स्वर्ग पर अपना पुन: अधिकार प्राप्त करने के लिये माँ लक्ष्मी की आराधना की थी। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके असुर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी। वामन रूप में भगवान विष्णु ने दो पग में त्रैलोक्य को नाप लिया और तीसरे पग के लिए बलि को अपने सिर पर बैठा लिया। बलि ने अपने सिर को भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर दिया। इस प्रकार भगवान विष्णु ने देवताओं को स्वर्ग पर पुन: अधिकार दिलाया।

इस कथा के अनुसार जलझूलनी एकादशी (JalJhulni Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष को प्राप्त करता है

यह कथा हमें यह संदेश देती है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। राजा बलि ने भगवान विष्णु पर अगाध श्रद्धा रखी और उन्होंने भगवान विष्णु को अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। भगवान विष्णु ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें पाताल का राजा बना दिया।

इस कथा से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें हमेशा धर्म और सत्य का साथ देना चाहिए। राजा बलि ने भगवान विष्णु से तीन पग भूमि दान में मांगी, क्योंकि वह एक धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अपने गुरु शुक्राचार्य की बात नहीं मानी, क्योंकि वह जानते थे कि भगवान विष्णु ही उन्हें दान में भूमि मांगने आए हैं।

जलझूलनी एकादशी का व्रत विधि | JalJhulni Ekadashi Vrat Vidhi

जलझूलनी एकादशी का व्रत विधि JalJhulni Ekadashi Vrat Vidhi
  • दशमी तिथि की रात्रि से ही ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक जीवन जीएं।
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की प्रतिमा स्थापित करें और पंचामृत से अभिषेक करें।
  • विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें और भोग लगाएं।
  • भगवान विष्णु के वामन अवतार की कहानी कहें या सुनें और विष्णु सहस्त्रनाम (Vishnu Sahasranamam Mantra) का पाठ करें।
  • माँ लक्ष्मी की भी विशेष पूजा करें और भोग लगाएं।
  • दिन में एक बार फलाहार करें।
  • भगवान के पंचामृत के छींटे अपने और परिवार के सदस्यों पर लगाकर पंचामृत ग्रहण करें।
  • व्रत की रात्रि को जागरण का आयोजन करें और भजन-कीर्तन करें।
  • अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

अतिरिक्त जानकारी:

जलझूलनी एकादशी का व्रत (JalJhulni Ekadashi Vrat) रखने से सभी संकट और कष्टों का नाश होता है, समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है, धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती और सभी सुखों का आनंद मिलता है।

इस दिन व्रत रखने वालों को भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्त को अकल्पनीय धन-वैभव प्रदान करती हैं। भक्तो को इस दिन माता लक्ष्मी के 1008 नामों और मंत्रों (1008 Names of Mata Lakshmi with Mantras) का जाप करना चाहिए। 

जलझूलनी एकादशी (JalJhulni Ekadashi) या वामन एकादशी (Vaman Ekadashi) एक बहुत पवन पर्व है इन दिन श्रद्धा-भक्ति से व्रत और पूजा करने वाले भक्तों का अवश्य जी उद्धार होता है। 

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