विश्वकर्मा पूजा

Vishwakarma Jayanti 2023: तिथि, मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, और व्रत कथा

विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti), भगवान विश्वकर्मा को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हिन्दू धर्म में मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है, और लोग इसे भगवान विश्वकर्मा की पूजा और आदर से मनाते हैं। विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) का महत्व भारतीय संस्कृति में गहरा है, और यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो शिक्षा, कला, और शिल्पकला की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट करता है।

भगवान विश्वकर्मा को “दुनिया का डिजाइनर” माना जाता है, क्योंकि उन्होंने पवित्र द्वारका शहर का निर्माण किया था, जो कृष्ण के शासन के तहत था। उन्होंने देवताओं के लिए विभिन्न प्रकार के हथियार भी बनाए थे।

विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) हरित-पुष्प या आश्विन मास के प्रतिपद तिथि को मनाई जाती है और इसे हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर से नवम्बर के बीच आयोजित किया जाता है। यह त्योहार भगवान विश्वकर्मा की पूजा और उनकी कौशलकला को सलाम करने का एक अद्वितीय अवसर है।

इस अवसर पर, लोग अपने कामकाज और उपकरणों की पूजा अर्चना करते हैं, जो उनके व्यवसाय या पेशेवर जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) के दिन, शिल्पकार, उद्योगपति, और कारीगर भी अपने कार्यशाला और उपकरणों को सजाते हैं, और उन्हें पूजा अर्चना करते हैं।

इस त्योहार के माध्यम से, हम यह सिखते हैं कि विभिन्न व्यवसायों और कार्यों के लिए कौशलकला और उपकरणों का महत्व क्या है। हमारे संस्कृति में देवी और देवताओं के माध्यम से हमें यह सिखाया गया है कि किसी भी कार्य को सफलता प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रसन्न करने की आवश्यकता होती है।

विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) एक मौका है जब हम अपने काम को समर्पित करते हैं और भगवान विश्वकर्मा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिससे हमारे कार्यों में सफलता और समृद्धि होती है। इस तरह, विश्वकर्मा पूजा हमारे समृद्ध और विविध भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा बनती है और हमें काम के महत्व को याद दिलाती है।

विश्वकर्मा कौन हैं? Who is Vishwakarma?

भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma), भगवान ब्रह्मा के पुत्र और सृष्टि के देवता हैं। वे आकाश और पृथ्वी के महादोषों को ठीक करने और नई चीजें बनाने के विशेषज्ञ शिल्पकार हैं। उन्होंने महाभारत के समय, पांडवों के लिए द्विपालक का काम किया था और द्वारका को उनके द्वारकाधीश, भगवान कृष्ण के लिए बनाया था।

भगवान विश्वकर्मा – सृजनहार का देवता
भगवान विश्वकर्मा हिन्दू पौराणिक कथाओं में सृजनहार का देवता माने जाते हैं। वे सभी जगहों के कर्मकांडों, विज्ञान, कला, और विचारशीलता के प्रतीक माने जाते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा और आराधना सृजनात्मकता को महत्वपूर्ण रूप से दर्शाती है और लोग इस अवसर पर अपने नौकरी, व्यवसाय, और शिक्षा की शुरुआत करने के लिए शुभारंभ करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा 2023 में कब है/ Vishwakarma Puja 2023 Date

हर साल कन्या संक्रांति को 17 सितंबर को भगवान विश्कर्मा की जयंती (Vishwakarma Jayanti) मनाई जाती है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसे विभिन्न भागों में भिन्न तिथियों पर मनाया जाता है, उत्तर भारत में इसे फरवरी महीने में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विधान होता है।

भगवान विश्वकर्मा को “देवताओं के शिल्पकार” कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने शिव के त्रिशूल, लंका के महल, द्वारका, और अन्य देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और भवनों का निर्माण किया था। इस दिन कारीगर, फर्नीचर बनाने वाले, मशीनरी कारखानों से जुड़े लोग भगवान विश्कर्मा की जयंती को धूमधाम से मनाते हैं।

विश्वकर्मा पूजा के दिन, लोग अपने कामकाज के उपकरणों की पूजा अर्चना करते हैं और भगवान विश्वकर्मा की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह त्योहार उन लोगों को याद दिलाता है कि कौशलकला और उपकरणों का महत्व किसी भी क्षेत्र में होता है और किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण है।

दिन – रविवार
त्यौहार की तारीख – 17 सितंबर 2023

विश्वकर्मा की पूजा की तिथि और मुहूर्त (Vishwakarma Puja Tithi, Muhurat 2023 )

इस वर्ष, विश्वकर्मा पूजा का महत्वपूर्ण मुहूर्त 17 सितंबर 2023 को है, जब सुबह 07:50 मिनट से लेकर दोपहर 12:26 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। इस समय के दौरान, लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा और अर्चना करते हैं और उनके कौशलकला और उपकरणों का समर्पण करते हैं।

दोपहर के आगे, भी एक अच्छा मुहूर्त है, जब विश्वकर्मा पूजा की जा सकती है, जो दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक चलता है। इस समय के दौरान भी, लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

Vishwakarma Puja 2023 – 17 सितंबर दोपहर बह 07 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक शुभ मुहूर्त

Vishwakarma Puja 2023- दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट

कारखानों में विश्वकर्मा पूजा का महत्व क्यों है? Significance of Vishwakarma Puja

विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) , जिसे विशेष रूप से कारखानों और औद्योगिक क्षेत्रों में मनाया जाता है, कारखानों में क्यों की जाती है, यह प्रश्न बहुत रोचक है। इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय औद्योगिक कार्यक्षेत्रों में है, और इसे उन कारखानों में मनाया जाता है जो उपकरणों और मशीनों के निर्माण और उत्पादन के क्षेत्र में काम करते हैं। इस तरह की क्षेत्रों में यह पूजा एक महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण त्योहार होता है, जिसमें कार्यकर्ता और व्यवसायी भगवान विश्वकर्मा की पूजा और धन्यवाद करते हैं।

इस उत्सव के दौरान, कार्यकर्ता और व्यवसायी अपने कामकाज के उपकरणों की पूजा और आराधना करते हैं और उनके कौशलकला को महत्व देते हैं। इसके अलावा, वे भगवान विश्वकर्मा से सुरक्षित कामकाज, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह एक अवसर होता है कार्यकर्ताओं के लिए अपने काम में सफलता प्राप्त करने का और उनके उत्पादों को सशक्त बनाने का।

इस पूजा के माध्यम से, औद्योगिक क्षेत्रों के लोग अपने काम के महत्व को याद दिलाते हैं और उनके उपकरणों के द्वारा विकास और सफलता की दिशा में प्रार्थना करते हैं। विश्वकर्मा पूजा का उद्देश्य कामकाज की महत्वपूर्णता को प्रमोट करना और उपकरणों के महत्व को बढ़ावा देना है, जिससे कार्यक्षेत्र में समृद्धि हो सके।

इसके अलावा, विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) का उत्सव भगवान विश्वकर्मा के योगदान को याद दिलाता है और विभिन्न उद्योगिक समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है, जिससे वे अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

विश्वकर्मा जयंती की पूजा और ध्यान Vishwakarma Jayanti Puja Vidhi

विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti), के दिन, लोग अपने कामकाज और उपकरणों को सजाने और उन्हें पूजन करते हैं। उनका मानना ​​है कि भगवान विश्वकर्मा उनके काम को आशीर्वादित करेंगे और उनके लिए सफलता और सुरक्षा लाएंगे। विशेष रूप से शिल्पकला और उद्योग क्षेत्र में लोग इस त्योहार को महत्वपूर्ण रूप से मनाते हैं, और उनके उत्पादन को आशीर्वादित करने के लिए पूजा करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा विधि

विश्वकर्मा पूजा के दिन, पूजन करने के दो प्रमुख तरीके होते हैं, पूजन विधि से पहले हम विश्वकर्मा के पूजन मंत्र और आरती को जान लेते हैं:

पूजन मंत्र: “ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:।
ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:।।”

पूजा विधि 1 :

  • सुबह उठकर स्नान करें और अपने शरीर को पवित्र बना लें। फिर पूजन स्थल को साफ करें, यह स्थल जमीन के संपर्क में होना चाहिए।
  • एक साफ चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक चिह्न बनाएं।
  • चौकी पर चावल और फूल अर्पित करें, फिर उस पर भगवान विष्णु और भगवान् विश्वकर्मा जी की प्रतिमा या चित्र लगाएं।
  • एक दीपक जलाकर चौकी पर रखें, भगवान विष्णु और ऋषि विश्वकर्मा जी के मस्तक पर तिलक लगाकर पूजा का आरंभ करें।
  • भगवान् विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को प्रणाम करते हुए उनका मन ही मन स्मरण करें।
  • विश्वकर्मा जी के मंत्र “ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:” का १०८ बार जप करें।
  • फिर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद विश्वकर्मा जी की आरती करें।
  • आरती के बाद उन्हें फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं, इस भोग को सभी लोगों और कर्मचारियों में बाँटें।

पूजा विधि 2:

भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Vishwakarma Puja) करने के लिए, सुबह स्नान आदि करके अच्छे और साफ कपड़े पहनें। फिर विश्वकर्मा पूजा का आरंभ करें। पूजा के समय, अक्षत, हल्दी, फूल, पान का पत्ता, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप, दीप, और रक्षासूत्र को तैयार रखें। उन औजारों पर हल्दी और चावल लगाएं, साथ ही साथ धूप और अगरबत्ती भी जलाएं।

इसके बाद, आटे की रंगोली बनाएं और उसके ऊपर 7 तरह के अनाज रखें। उसके बाद, एक लोटे में जल भरकर रंगोली पर रखें। फिर भगवान श्री विष्णु और विश्वकर्मा जी की आरती करें।

आरती के बाद, विश्वकर्मा जी और श्री विष्णु जी को भोग लगाएं और सभी को प्रसाद बांटें। इसके बाद, कलश को हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाएं और पूजा करते समय मंत्रों का उच्चारण करें। मंत्रों का उच्चारण 108 बार करना शुभ माना जाता है।

जब पूजा पूरी हो जाए, तो सभी को प्रसाद दें। इस दिन, दफ्तर के साथ ही घर में भी सभी मशीनों की पूजा करने का विधान होता है, चाहे वो बिजली के उपकरण हों, किचन के उपकरण हों, या फिर बाहर खड़ी गाड़ी हो।

विश्वकर्मा पूजा के दिन ध्यान रखने योग्य बातें

विश्वकर्मा पूजा के दिन यह महत्वपूर्ण है कि हम कुछ महत्वपूर्ण बातों का विशेष ध्यान रखें:

  • पूजा में औजारों का उपयोग: पूजा के दिन, यदि आप विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा या चित्र के साथ पूजा कर रहे हैं, तो अपने औजारों को पूजा में शामिल करें। याद रखें कि विश्वकर्मा भगवान को औजारों के पूजन से प्रसन्नता मिलती है, इसलिए उन्हें अच्छी तरह से सजाकर पूजन करें। इसके अलावा, पूजा के दिन किसी भी पुराने औजार को फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि यह विश्वकर्मा जी का अपमान हो सकता है।
  • औद्योगिक स्थल पर पूजा का आयोजन: विश्वकर्मा पूजा का आयोजन औद्योगिक स्थलों जैसे कारखानों और फैक्ट्रियों में होना चाहिए। यह पूजा उन स्थलों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है जो उपकरणों और मशीनों के निर्माण और उत्पादन में काम करते हैं।
  • मशीन से जुड़ा कोई कार्य न करें: जिन लोगों के पास कारखाने और फैक्ट्रियों में मशीनों से जुड़ा कोई काम है, उन्हें विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी मशीनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • वाहन की सफाई: अगर आपके पास कोई वाहन है, तो विश्वकर्मा पूजा के दिन उसकी सफाई और पूजा करना न भूलें।
  • मांस और मदिरा का सेवन वर्जित: विश्वकर्मा पूजा के दिन, मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह एक पवित्र उपवास का भाग होता है।
  • दान: अपने व्यापार की वृद्धि के लिए, विश्वकर्मा पूजा के दिन आपको निर्धन व्यक्ति और ब्राह्मण को दान देना चाहिए।

इन बातों का पालन करके हम विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) को ध्यानपूर्वक और पवित्र तरीके से मना सकते हैं और भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।

विश्वकर्मा पूजा आरती (Vishwakarma Puja Aarti)

जहाँ मंत्र जाप 108 बार किया जाता है , वहीँ प्रसाद वितरण एवं मंत्र जाप से पहले आरती का विधान है:

” हम सब उतारे आरती तुम्हारी हे विश्वकर्मा, हे विश्वकर्मा।

युग–युग से हम हैं तेरे पुजारी, हे विश्वकर्मा।।

मूढ़ अज्ञानी नादान हम हैं, पूजा विधि से अनजान हम हैं।

भक्ति का चाहते वरदान हम हैं, हे विश्वकर्मा।।

निर्बल हैं तुझसे बल मांगते, करुणा का प्यास से जल मांगते हैं।

श्रद्धा का प्रभु जी फल मांगते हैं, हे विश्वकर्मा।।

चरणों से हमको लगाए ही रखना, छाया में अपने छुपाए ही रखना।

धर्म का योगी बनाए ही रखना, हे विश्वकर्मा।।

सृष्टि में तेरा है राज बाबा, भक्तों की रखना तुम लाज बाबा।

धरना किसी का न मोहताज बाबा, हे विश्वकर्मा।।

धन, वैभव, सुख–शान्ति देना, भय, जन–जंजाल से मुक्ति देना।

संकट से लड़ने की शक्ति देना, हे विश्वकर्मा।।

तुम विश्वपालक, तुम विश्वकर्ता, तुम विश्वव्यापक, तुम कष्टहर्ता।

तुम ज्ञानदानी भण्डार भर्ता, हे विश्वकर्मा।।

भोग में चढ़ाएं चावल की खीर:

विश्वकर्मा पूजा के दिन, भगवान विश्वकर्मा को समर्पित किया जाने वाला भोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, और इसमें चावल की खीर का विशेष स्थान होता है। खीर एक प्रसन्नता और आनंद का प्रतीक होता है और इसके साथ चावल का महत्व भी उच्च होता है।

सामग्री : – एक कप चावल, एक लीटर दूध, डेढ़ कप चीनी, थोड़े से बादाम, पिस्ता और इलायची पाउडर

जानिए चावल की खीर बनाने की रेसिपी:
चावल की खीर तैयार करने के लिए सबसे पहले चावल को धोकर साफ करें और उसे पानी में भिगोकर रखें। फिर चावल को पकाने के लिए दूध, चीनी, और गरम मसाले के साथ मिलाकर पकाएं। जब चावल और दूध मिलकर गाढ़ा हो जाए, तो उसमें द्राक्षिका और नारियल का कद्दूकस करके मिलाएं। इसमें थोड़ा सा इलायची पाउडर भी मिलाये, जिससे खीर का स्वाद और भी आरंभिक हो।

खीर तैयार होने पर, इसे भगवान विश्वकर्मा की पूजा स्थल पर रखें और उनको समर्पित करें। यह खीर भगवान के आशीर्वाद का प्रतीक होता है और सभी पूजा करने वालों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। चावल की खीर का यह विशेष भोग भगवान की कृपा को प्राप्त करने के लिए समर्पित होता है और विश्वकर्मा पूजा के महत्वपूर्ण हिस्से में आता है।

विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Significance of Vishwakarma Puja)

“विश्वं कृत्यस्नं वयापारो वा यस्य सः” यह श्लोक दर्शाता है कि जिसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण ब्रह्मांड है, चाहे वह सृष्टि का या व्यापार का हो, वही विश्वकर्मा है। विश्वकर्मा पूजा का महत्व है क्योंकि इसे प्राचीन काल से हमारे ऋषियों और मुनियों ने ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के साथ महत्वपूर्ण माना है।

भगवान विश्वकर्मा को प्राचीन काल के सबसे पहले इंजीनियर के रूप में जाना जाता है, जो सृष्टि के साकार और असाकार कार्यों का सिरपर लिए रहते हैं। विश्वकर्मा पूजा के दिन, औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े उपकरण, औजार, और मशीनों की पूजा करने से कार्य में कुशलता और समृद्धि आती है। इसके साथ ही, शिल्पकला का विकास भी होता है, जिससे हमारा सांस्कृतिक धरोहर भी मजबूत होता है।

विश्वकर्मा पूजा के दिन, कारोबार में वृद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होती है, और यह भी दिखाता है कि धन और धान्यवाद का आगमन होता है। यह पूजा और इसके महत्व का अनुभव कराती है कि हमारे काम और उद्योगों में भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है और हमें सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

कैसे मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती?

विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) को लोग उपवास करते हैं और अपने उपायों और औद्योगिक सामग्री को पूजा करते हैं। विशेष रूप से शिल्पकार और कारीगर इस दिन अपने उपायों की पूजा करते हैं और अपने उपायों की सुरक्षा और उनके कौशल में वृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद मांगते हैं।

विश्वकर्मा पूजा के पास महत्वपूर्ण तिथियां

विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) का उत्सव सितंबर माह के पहले दिन, जिसे ‘विश्वकर्मा पूजा’ कहा जाता है, को मनाया जाता है। इसके अलावा, कुछ लोग विश्वकर्मा जयंती को चैत्र मास के महिने में भी मनाते हैं, जिसे ‘विश्वकर्मा जयंती’ कहा जाता है।

विश्वकर्मा पूजा 2023 कथा | Vishwakarma Puja Katha

यह कथा हमें एक महत्वपूर्ण सन्देश देती है कि जिनके नाम और भगवान की स्मरणा से पापों का समूल नाश होता है। यह एक बार की बात है, जब देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से यह सवाल पूछा कि कौन हैं जो सभी रूपों के भगवान हैं। विष्णु जी ने जवाब दिया कि वे विश्वकर्मा रूप में सम्पूर्ण ब्रह्मांड को अपनी आत्मा में समाहित करते हैं।

विश्वकर्मा भगवान के इस रूप ने समस्त कार्यों की रचना की और उनका वर्णन किया कि वे किस रूप से विश्व को अपनी आत्मा में लिपटाते हैं। उन्होंने ब्रह्मा को और विद्या के प्रतिपादक अर्थव्यापी को भी रचा।

विश्वकर्मा भगवान के द्वारा ब्रह्मा, ऋषियों, और विद्या के उपदेश के साथ सृष्टि की रचना करने वाले शिल्पी लोगों ने अनेक वस्तुओं की निर्माण की। उनका योगदान हमारी दैहिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण रहा है।

इस कथा में दिखाया गया है कि श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से हमें दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है, जो हमारे जीवन को सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि पापों का नाश केवल एक जन्म में नहीं होता, लेकिन भगवान की भक्ति और सेवा से हम अपने पापों को क्षमा कर सकते हैं।

इस कथा से हम यह भी समझते हैं कि विश्वकर्मा पूजा का महत्व क्यों है और कैसे यह हमारे जीवन में समृद्धि और सफलता लाता है। भगवान विश्वकर्मा की कृपा से हमारे कार्यों में समृद्धि होती है और हमें सफलता प्राप्त होती है।

विश्वकर्मा जयंती: योगदान का समर्पण

इस पर्व के माध्यम से हम यह सिखते हैं कि योगदान और कौशल का महत्व क्या होता है। यह एक ऐसा दिन है जब हम उन श्रील्पकारों को सलाम करते हैं जो हमारे दैनिक जीवन को आसान और सुखमय बनाते हैं। विश्वकर्मा जयंती के इस अवसर पर हम भगवान विश्वकर्मा के साथ ही अपने औद्योगिक उपायों का भी समर्पण करते हैं ताकि हमारे उपाय और कौशल हमें सफलता की ओर अग्रसर कर सकें।

समापन | Conclusion

विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) भगवान विश्वकर्मा के सृजनात्मक शक्तियों को मानने और समर्पित होने का पर्व है। इसे समाज में सांस्कृतिक और तकनीकी विकास के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जाता है और यह सभी कारीगरों और व्यवसायियों के लिए नए आरंभ की आदर्श शुरुआत होती है।

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