गणेश महिम्ना स्तोत्रम्

गणेश महिम्ना स्तोत्रम् | Ganesha Mahimna Strotam Lyrics and Benefits

गणेश महिम्न स्तोत्रम (Ganesha Mahimna Strotam) एक प्राचीन वेदांतिक ग्रंथ है जो भगवान गणेश की महिमा, गुणों और आदित्य ब्रह्म के रूपों का वर्णन करता है। यह स्तोत्रम पुराणों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और गणेश के भक्तों के लिए आदरणीय है।

गणेश महिम्न स्तोत्रम का निर्माण आदि शंकराचार्य ने किया था। इस स्तोत्रम का पाठ करने से भगवान गणेश की आराधना करने वाले भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है और उन्हें अद्वितीय लाभ मिलता है।

गणेश महिम्न स्तोत्रम भगवान गणेश की महिमा, गुणों और आदित्य ब्रह्म के रूपों की प्रशंसा करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्रम है। इसके पाठ से भक्तों को आध्यात्मिक, भौतिक और आर्थिक क्षेत्र में अनगिनत लाभ प्राप्त होता है।

गणेश महिम्ना स्तोत्रम् (Ganesha Mahimna Strotam)

अनिर्वाच्यं रूपं स्तवन निकरो यत्र गलितः तथा वक्ष्ये स्तोत्रं प्रथम पुरुषस्यात्र महतः ।
यतो जातं विश्वस्थितिमपि सदा यत्र विलयः सकीदृग्गीर्वाणः सुनिगम नुतः श्रीगणपतिः ॥ 1 ॥

गकारो हेरम्बः सगुण इति पुं निर्गुणमयो द्विधाप्येकोजातः प्रकृति पुरुषो ब्रह्म हि गणः ।
स चेशश्चोत्पत्ति स्थिति लय करोयं प्रमथको यतोभूतं भव्यं भवति पतिरीशो गणपतिः ॥ 2 ॥

गकारः कण्ठोर्ध्वं गजमुखसमो मर्त्यसदृशो णकारः कण्ठाधो जठर सदृशाकार इति च ।
अधोभावः कट्यां चरण इति हीशोस्य च तमः विभातीत्थं नाम त्रिभुवन समं भू र्भुव स्सुवः ॥ 3 ॥

गणाध्यक्षो ज्येष्ठः कपिल अपरो मङ्गलनिधिः दयालुर्हेरम्बो वरद इति चिन्तामणि रजः ।
वरानीशो ढुण्ढिर्गजवदन नामा शिवसुतो मयूरेशो गौरीतनय इति नामानि पठति ॥ 4 ॥

महेशोयं विष्णुः स कवि रविरिन्दुः कमलजः क्षिति स्तोयं वह्निः श्वसन इति खं त्वद्रिरुदधिः ।
कुजस्तारः शुक्रो पुरुरुडु बुधोगुच्च धनदो यमः पाशी काव्यः शनिरखिल रूपो गणपतिः ॥5 ॥

मुखं वह्निः पादौ हरिरसि विधात प्रजननं रविर्नेत्रे चन्द्रो हृदय मपि कामोस्य मदन ।
करौ शुक्रः कट्यामवनिरुदरं भाति दशनं गणेशस्यासन् वै क्रतुमय वपु श्चैव सकलम् ॥ 6 ॥

सिते भाद्रे मासे प्रतिशरदि मध्याह्न समये मृदो मूर्तिं कृत्वा गणपतितिथौ ढुण्ढि सदृशीम् ।
समर्चत्युत्साहः प्रभवति महान् सर्वसदने विलोक्यानन्दस्तां प्रभवति नृणां विस्मय इति ॥7 ॥

गणेशदेवस्य माहात्म्यमेतद्यः श्रावयेद्वापि पठेच्च तस्य ।
क्लेशा लयं यान्ति लभेच्च शीघ्रं श्रीपुत्त्र विद्यार्थि गृहं च मुक्तिम् ॥ 8 ॥

॥ इति श्री गणेश महिम्न स्तोत्रम् ॥

Ganesha Mahimna Strotam Lyrics in English

GANESHA MAHIMNA STOTRAM

anirvāchyaṃ rūpaṃ stavana nikarō yatra gaḻitaḥ tathā vakṣyē stōtraṃ prathama puruṣasyātra mahataḥ ।
yatō jātaṃ viśvasthitimapi sadā yatra vilayaḥ sakīdṛggīrvāṇaḥ sunigama nutaḥ śrīgaṇapatiḥ ॥ 1 ॥

gakārō hērambaḥ saguṇa iti puṃ nirguṇamayō dvidhāpyēkōjātaḥ prakṛti puruṣō brahma hi gaṇaḥ ।
sa chēśaśchōtpatti sthiti laya karōyaṃ pramathakō yatōbhūtaṃ bhavyaṃ bhavati patirīśō gaṇapatiḥ ॥ 2 ॥

gakāraḥ kaṇṭhōrdhvaṃ gajamukhasamō martyasadṛśō ṇakāraḥ kaṇṭhādhō jaṭhara sadṛśākāra iti cha ।
adhōbhāvaḥ kaṭyāṃ charaṇa iti hīśōsya cha tamaḥ vibhātītthaṃ nāma tribhuvana samaṃ bhū rbhuva ssuvaḥ ॥ 3 ॥

gaṇādhyakṣō jyēṣṭhaḥ kapila aparō maṅgaḻanidhiḥ dayāḻurhērambō varada iti chintāmaṇi rajaḥ ।
varānīśō ḍhuṇḍhirgajavadana nāmā śivasutō mayūrēśō gaurītanaya iti nāmāni paṭhati ॥ 4 ॥

mahēśōyaṃ viṣṇuḥ sa kavi ravirinduḥ kamalajaḥ kṣiti stōyaṃ vahniḥ śvasana iti khaṃ tvadrirudadhiḥ ।
kujastāraḥ śukrō pururuḍu budhōguchcha dhanadō yamaḥ pāśī kāvyaḥ śanirakhila rūpō gaṇapatiḥ ॥5 ॥

mukhaṃ vahniḥ pādau harirasi vidhāta prajananaṃ ravirnētrē chandrō hṛdaya mapi kāmōsya madana ।
karau śukraḥ kaṭyāmavanirudaraṃ bhāti daśanaṃ gaṇēśasyāsan vai kratumaya vapu śchaiva sakalam ॥ 6 ॥

sitē bhādrē māsē pratiśaradi madhyāhna samayē mṛdō mūrtiṃ kṛtvā gaṇapatitithau ḍhuṇḍhi sadṛśīm ।
samarchatyutsāhaḥ prabhavati mahān sarvasadanē vilōkyānandastāṃ prabhavati nṛṇāṃ vismaya iti ॥7 ॥

gaṇēśadēvasya māhātmyamētadyaḥ śrāvayēdvāpi paṭhēchcha tasya ।
klēśā layaṃ yānti labhēchcha śīghraṃ śrīputtra vidyārthi gṛhaṃ cha muktim ॥ 8 ॥

॥ iti śrī gaṇēśa mahimna stōtram ॥

गणेश महिम्न स्तोत्रम का लाभ:

  • विद्या में सफलता: गणेश महिम्न स्तोत्रम के पाठ से व्यक्ति को विद्या में सफलता प्राप्त होती है। गणेश जी ज्ञान के देवता होते हैं और उनकी कृपा से विद्या के क्षेत्र में उनके भक्तों को उनकी मनचाही प्रगति मिलती है।
  • आपदाओं से मुक्ति: गणेश महिम्न स्तोत्रम के पाठ से व्यक्ति को आपदाओं, कठिनाइयों और संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है। गणेश जी विघ्नहर्ता होते हैं और उनकी कृपा से सभी प्रकार की मुश्किलें दूर हो जाती हैं।
  • आध्यात्मिक विकास: इस स्तोत्रम के पाठ से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है। यह स्तोत्रम व्यक्ति को आध्यात्मिक साधना में मदद करता है और उसकी आत्मा को शुद्धता और शांति की दिशा में ले जाता है।
  • धन और समृद्धि: गणेश महिम्न स्तोत्रम के पाठ से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। गणेश जी को ‘सिद्धिविनायक’ भी कहा जाता है और इस स्तोत्रम के पाठ से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  • आत्म-विश्वास: गणेश महिम्न स्तोत्रम के पाठ से व्यक्ति का आत्म-विश्वास बढ़ता है और वह अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करता है। गणेश जी की कृपा से उसकी सारी अवरोधनाएँ दूर होती हैं और उसका मार्ग सुखमय बनता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!