रंगभरी एकादशी या आमल की एकादशी का क्या महत्व है ?

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमल की एकादशी, गौर एकादशी, आंवला एकादशी या रंगभरी एकादशी कहा जाता है

मान्यता है की रंगभरी एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते है इस साल ये एकादशी 3 मार्च को मनाई जाएगी।

आमल की एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है साथ ही ये एकमात्र ऐसी एकादशी है जिस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव विवाह के उपरांत माता पार्वती को पहली बार कशी में लेकर आये थे। रंगभरी एकादशी को सुहागन की रक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है 

रंगभरी एकदशी के दिन भगवान विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है साथ ही इस दिन से काशी में होली का पर्व शुरू हो जाता है।

इस दिन शिव जी को विशेष रंग अर्पित करने से धन संबधी तमाम मनोकामनाएं की पूर्ति भी की जा सकती है

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